आप ध्यान क्यो करना चाहते है।
जब यह प्रश्न हम अपने आप से पूछेगें तो अनेक जबाब आयेंगे। हम शांति पाना चाहतें है ( अर्थात हम अशांत है।) हम सत्य को जानना चाहते हैं। (अर्थात कुछ ऐसा हैं जो रह्स्य हैं।) हम परमात्मा को पाना चाहते हैं।(अर्थात कोई हैं जो हमसे ज्यादा शक्तिवान है।) हम पूर्ण स्वस्थ होना चाहते हैं। ( क्योकि आज सभी आपने आ को अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं।) हम आनंद या सुख को पाना चाहते हैं।( अर्थात कुछ ऐसा रहस्य है जिसको पाकर हम सुखी हो सकते है।) हम तनाव को दूर करना चाहते है।(क्योकि आज का जीवन तनाव से भरा हुआ है।) हम मोक्ष चाहते है।(अर्थात कुछ ऐसा जो इस संसार के दुखो से अच्छा संसार हो उसे पाने की चाह) हम मुक्ति चाहते है। (जीवन से या जीवन के दुखो से) शायद दुखो से क्योकि जीवन से कोई मुक्ति नही चहाता। मृत्यु कोई नही चाहता।तुम केवल रात में ही सपने नही देखते जागते हुऐ भी सपने देखते चले जाते है। तुम हर समय स्वप्न ओर कल्पनाऔ को बनाते जा रहे हो, ओर इन्ही कल्पनाओ की पूर्ती या अनुभवो को पूरा करने के लिये जीवन भर दौड़ते हो कभी भीतर तो कभी बहार और शायद आप इस दौड़ को पूरा करने के लिये ही ध्यान करना चाहते है। क्योकि कल्पना मे तो बहुत सुख अनुभव कर लेते है। पर सत्य के पटल पर , वर्तमान के पटल पर वह दूर दिखाई देता है। हम जितने भी लक्ष्य बनाते है या दौड़ लगाते है वह केवल दुख से बचने के लिये ओर सुख को पाने के लिये ही लगाते है। ओर पूरा जीवन हम जितने भी कार्य 24 घंटे करते है सुखी व खुशी प्राप्त करने के लिये करते है। पर हमे खुशी नही मिल पाती इसलिये हम बहुत सारी क्रियाऐं अपनाते है जो हमने सुन रखी है या हमारें संस्कारो मे समायी हुई है या किसी ने बताई या कही पुस्तक मे पढ़ी या फिर इन्टरनैट पर देखी है।
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