Wednesday, 10 August 2016

कल्पांत ध्यान साधना क्या है।

कल्पांत ध्यान साधना क्या है।

 कल्पांत ध्यान साधना एक ऐसी विधि है। जो आपको पूरी स्वतंत्रता देती है। सभी बंधनों से यह आपको आजादी देती है। ओर आपको एक नया जीवन देती है, जो आनंद और शांति से भरपूर होगा, और पूर्ण स्वास्थ्य की कल्पना को साकार करती है। ध्यान मृत्यु और नवजीवन दोनों ही हैं। तुम जैसे हो उसे मरना ही होगा और जब पुराना मरेगा तो नये का जन्म होगा। तुम एक बीज हो ओर बीज जैसे ही ध्यान की धरती पर गिरेगा, तो बीज नष्ट हो जाएगा, और एक नया वृक्ष बन जाएगा। जो असीमानंद से भरा होगा। इसमें तुम्हारा स्वयं का रुपांतरण होगा। तुम्हारा दृष्टिकोण, जीने का ढंग, मन, चित, बुद्धि सबका नव सर्जन होगा।
 मनुष्य का जीवन क्षणभंगुर है। और ध्यान उसे उच्च चेतना और आत्म साक्षात्कार की ओर ले जाता है। अधिकतर लोग कूपमंडूक की तरह जीवन जीते हैं। पर ध्यान आपको कुछ अधिक आनंद की कल्पना की ओर ले जाता है। धीरे-धीरे आप सशक्त हो जाते हैं। सब कुछ करते हुए भी आपका अंतः करण उससे प्रभावित नहीं होता है।


                                                  http://kalpantsawashram.webs.com/
प्रत्येक व्यक्ति बचपन से ही अनेक बंधनों में बंधा हुआ है। और प्रशिक्षित किया जाता है कि उसे कब किसके साथ कैसी प्रतिक्रिया करनी है। और हमारी सजगता का अभाव होता जाता है। कल्पांत ध्यान साधना बंधनों की सीमाओं के परे का अनुभव है। इसमें कुछ बदलना नहीं है। कोई नियम नहीं हैं। कोई कर्मकांड नहीं है। कोई समय व सीमा का बंधन नहीं है। ना एकांत न कहीं की दौड़ करनी है। या यूं कहें कि सब कुछ करना बंद करना है तो ज्यादा सार्थक होगा।
इसे कोई भी किसी भी धर्म, जाति, व वर्ण के स्त्री, पुरूष, बच्चे, सभी सुबह-शाम, दोपहर या जब समय हो तब कहीं भी, किसी भी दिशा में, किसी भी आसन में सुखासन, पद्मासन, सोफे या कुर्सी पर बैठकर, बैड या फर्श पर चटाई पर लेट कर, किसी भी स्थिति व परिस्थिति मैं, रोगी या निरोगी होने पर भी कर सकते हैं। यह कोई विधि या क्रिया भी नहीं है, क्योंकि जब किसी विधि को करते हैं, तो विधि में उलझकर रह जाते हैं। और ध्यान की घटना घटती ही नहीं है।
कल्पना ध्यान साधना एक ऐसी साधना है जो कल्प के शुरु से शुरू हुई और कल्प के अंत तक जाएगी। और एक कल्पवृक्ष के समान सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करेगी जैसे कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर जो कामना करते हैं वह प्रकट हो जाती है, ठीक उसी प्रकार इस साधना को करने से सभी मनोकामनाओ की पूर्ति भी संभव है। परंतु विधि से पहले कुछ और भी करना है। वो है आपने शरीर व मन की शुद्धि , तो पहले शरीर की शुद्धि करें तो शीघ्र ही लाभ शुरू होगा और मानसिक समस्याएं भी खत्म हो जायेगी।

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