Wednesday, 10 August 2016

पाने के लिए प्यास

पाने के लिए प्यास
हमारे अंदर जब इस आनंद को पाने की प्यास जागती है, तो हम उसे पाने के लिए दौड़ते हैं, और यह प्यास होना ही हमें परमानंद तक ले जाती है। परंतु अगर प्यास ही ना हो तो सब व्यर्थ है। अगर आपको प्यास है तो निश्चित है आपका जीवन आनंद से जरूर भर जाएगा, जैसे ही हम श्रेष्ठ की कामना करते हैं उसी क्षण से हमारे अंदर  श्रेष्ठ पैदा होने लगता है।

जब भी आपके अंदर यह ख्याल पैदा होता है, कि आनंद को, शक्ति को, परमात्मा को पाना है तो याद रखना आपके अंदर कोई बीज अंकुर होने को उत्सुक हो गया है। कोई दबी हुई कल्पना पूरी होने वाली है। उस प्यास को हमें संभालना है, क्योंकि बीज तो सभी के मन में हैं, सभी के अंदर समाहित है, हमारा स्वाभिक अस्तित्व ही शांति व आनंद है। परंतु वह अंकुरित हो जाए और वृक्ष बन जाए यह जरूरी नहीं है। क्योंकि खेत में बीज अंकुरित तो होता है, परंतु सभी वृक्ष नहीं वन पाते। उसके लिए बहुत सी सुरक्षाऐ, सुविधाऐं, उचित वातावरण भी जरुरी है। 
     
जमीन पर बहुत से बीज अंकित होते हैं पर सभी वृक्ष नहीं बन पाते उनमें प्रत्येक में क्षमता थी कि वृक्ष बने, और एक-एक बीज बीज हजारों बीजों को जन्म दें। पूरा जंगल उससे पैदा हो जाए परंतु यह भी संमभावना है कि वह नष्ट हो जाऐ। ऐसे ही प्रत्येक मनुष्य के अंदर भी बीज बार-बार अंकुरित होता है परंतु वृक्ष बनने से पहले ही नष्ट हो जाता है।

 मन इसकी आत्मा और ब्रमांड की ऊर्जा का अणु अगर मिल जाए, विकसित हो जाए तो जिस शान्ति, शक्ति और आनंद का जन्म होता है वही आनंद परमानंद होता है। बीज तभी अंकुरित होगा जब प्यास होगी और अगर प्यास है तो निश्चित है घटना घटेगी, बीज वृक्ष बनेगा और सभी कल्पनाऐं पूर्ण होगी ओर शांति और आनंद आपके ह्रदय पटल में बस जायेंगा।

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