Wednesday, 10 August 2016

वर्तमान

वर्तमान
वर्तमान हमेशा एक नरक जैसा ही  होता हैं। या दुखो का भंडार होता हैं। तुम अगर उसे जीते हो तो केवल कल की आशाओं के सहारे से, वर्तमान को तुम भविष्य की कल्पना के सहारे जीते हो। तुम आशा करते हो हर पल की कल कुछ न कुछ अच्छा घटित होगा।  स्वर्ग के द्वार खुलेंगे परंतु कल, ओर जब कल आता है तो फिर वह आज बनकर आता है कल नहीं और तुम्हारा मन फिर से कहीं आगे बढ़ चुका होता हैं। तुम खुद से आगें दौड़ते चले जाते हो, और यही है पूरे जीवन की दौड़, जो आप दौड़ते हो। तुम वर्तमान को स्वीकार नहीं करते कि जो है वह यहां है और अभी इसी पल में है। परंतु तुम आगे कुदते हो, प्रत्येक कल को आज समझते हो, और कल का इंतजार करते रहते हो उस कल को कई नाम भी दिए हैं, जैसे मोक्ष, पुण्य, धन, सुख, शांति, आनंद, और वह सब भविष्य के सपने ही बना रहता है। जो हमारे पास है इसी पल है। हम उसका आनंद नहीं ले पाते और जो नहीं है उसके लिए जीवन भर दौड़ते रहते हैं।
 हम हर पल भूत और भविष्य में जीते हैं। भूत जो बीत गया ओर उसे बदल नहीं सकते और जिस भविष्य को हम बदलने के लिए प्रयासरत हो रहै है उस तक हम रहेगे भी या नही इसका हमे पता नही है। या वो भविष्य जब हमारे सामने होगा तो हम उसके प्रयोग के लायक रहेगे भी या नही यह भी निस्चित नही है। ओर हम उस भविष्य के लिये वर्तमान को खो देते हैं।
ध्यान केवल ओर केवल वर्तमान का अनुभव है। हर विधि भी आपको वर्तमान में रोकने को प्रयासरत है। पर हमारे सपने हमारा भविष्य इतना प्रबल है। कि वह सभी विधियों आज हमें निराशा प्रदान कर रही है। तुम वर्तमान से भागने के लिए विद्यियां अपनाते हो और वह आपको वर्तमान में ही लाती हैं। इसलिए तुम्हारा मन हरबार असफल होता है। और किसी भी विधि से तुम ध्यान में प्रवेश नहीं कर पाते। बहुत कम लोग हैं जो ध्यान में प्रवेश करते हैं। क्योंकि तुम्हारा मन ही तुम्हारे आसपास की चेतना को प्रकट करता हैं।
 हम स्वास को देखते हैं तो वह भी वर्तमान में लाती है और विचारों को रोकते हैं या त्राटक करते हैं वह भी वर्तमान में लाती है परंतु जब पहली बार कोई मौका मिलता है उस वर्तमान क्षण को जीने का तो तुम्हें आनंद की झलक मिलती है। परन्तु तुम उसे स्थायी नहीं रख पाते। क्योकि सपनों के कारण आप कुछ ओर कर रहे होते है। अपने अनुभव किया होगा कि जब भी आप आनंद में शांति में थे वर्तमान में थे। आप खोजें ओर बार बार खोजें कि कितने पल आप वर्तमान मे रहे। आप खाना खा रहे होते हैं और मन आफिस का कार्य कर रहा होता हैं। अकेले बैठे होते हैं तो विचार कर रहे होते है उन सुख या दुख के पलो का जो आपने पहले जिये है। इस तरह हम एक साथ बहुत से कार्य कर रहे होते है एक समय मे, मन से कुछ शरीर से कुछ ओर आत्मा से कुछ ओर। इस प्रकार हम कोई भी कार्य पूर्णता से नहीं कर पाते, न तो हम पूर्ण सोते हैं न जागते हैं। न कोई कार्य कर पाते हैं। हम जो भी करते हैं, अधूरा करते हैं, और अब तक जो भी क्रिया आनंद के लिये की हैं वह सभी वर्तमान में रोकने की हैं।


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